Sant Sadguru Maharshi Mehi Paramahansa Ji Maharaj is a great Sant of 20th century. He did not establish any new creed other than Santmat. He became a legendary Spiritual Master in the most ancient tradition of SANTMAT. Naturally a question arises, "What is Santmat ?" Is this a new creed? Who was the founder of Santmat? In His words, the definition of Santmat is as following:- "Stablemindedness or unfickleness of mind is the name of Shanti (peace or tranquility).
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बुधवार, 9 जून 2021
किसी जंगल मे एक गर्भवती हिरणी थी जिसका प्रसव होने को ही था | अब क्या होगा? क्या वो सुरक्षित रह सकेगी? क्या वो अपने बच्चे को जन्म दे सकेगी ? | प्रेरक कहानियाँ |
शनिवार, 25 अगस्त 2018
हतोत्साहित नहीं प्रोत्साहित करें | Hatotsahit nahi protsahit karen | Motivational thoughts |
हतोत्साहित नहीं प्रोत्साहित करें;
एक दिन एक किसान का गधा कुएं में गिर गया। वह गधा घंटों जोर-जोर से रेंकता (गधे के बोलने की आवाज) रहा... और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
आखिर उसने निर्णय लिया कि गधा काफी बूढ़ा हो चूका है, उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं है इसलिए उसे कुएं में ही दफना देना चाहिए।
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएं में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है, वह और जोर से चीख कर रोने लगा। और फिर, अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।
सब लोग चुपचाप कुएं में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएं में झांका तो वह हैरान रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे वह हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता। जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएं के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।
संक्षेप में :
आपके जीवन में भी बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जाएगी, बहुत तरह कि गंदगी आप पर गिरेगी। जैसे कि, आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा, कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा।
कोई आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे।
ऐसे में आपको हतोत्साहित होकर कुएं में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हिल-हिल कर हर तरह कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर, उसे सीढ़ी बनाकर, बिना अपने आदर्शों का त्याग किए अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।
।। जय गुरु ।।
प्रस्तुति: शिवेन्द्र कु० मेहता, गुरुग्राम
गुरुवार, 9 अगस्त 2018
एक नगर के राजा ने यह घोषणा करवा दी कि कल जब मेरे महल का द्वार खोला जायेगा ... | Gyanprad prerak kahani |
एक नगर के राजा ने यह घोषणा करवा दी कि कल जब मेरे महल का मुख्य दरवाज़ा खोला जायेगा, तब जिस व्यक्ति ने जिस वस्तु को हाथ लगा दिया वह वस्तु उसकी हो जाएगी !
इस घोषणा को सुनकर सभी नगर-वासी रात को ही नगर के दरवाज़े पर बैठ गए और सुबह होने का इंतजार करने लगे ! सब लोग आपस में बातचीत करने लगे कि मैं अमुक वस्तु को हाथ लगाऊंगा ! कुछ लोग कहने लगे मैं तो स्वर्ण को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग कहने लगे कि मैं कीमती जेवरात को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग घोड़ों के शौक़ीन थे और कहने लगे कि मैं तो घोड़ों को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग हाथीयों को हाथ लगाने की बात कर रहे थे, कुछ लोग कह रहे थे कि मैं दुधारू गौओं को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग कह रहे थे कि राजा की रानियाँ बहुत सुन्दर है मैं राजा की रानीयों को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग राजकुमारी को हाथ लगाने की बात कर रहे थे ! कल्पना कीजिये कैसा अद्भुत दृश्य होगा वह !!
उसी वक्त महल का मुख्य दरवाजा खुला और सब लोग अपनी अपनी मनपसंद वस्तु को हाथ लगाने दौड़े ! सबको इस बात की जल्दी थी कि पहले मैं अपनी मनपसंद वस्तु को हाथ लगा दूँ ताकि वह वस्तु हमेशा के लिए मेरी हो जाएँ और सबके मन में यह डर भी था कि कहीं मुझ से पहले कोई दूसरा मेरी मनपसंद वस्तु को हाथ ना लगा दे !
राजा अपने सिंघासन पर बैठा सबको देख रहा था और अपने आस-पास हो रही भाग दौड़ को देखकर मुस्कुरा रहा था ! कोई किसी वस्तु को हाथ लगा रहा था और कोई किसी वस्तु को हाथ लगा रहा था !
उसी समय उस भीड़ में से एक छोटी सी लड़की आई और राजा की तरफ बढ़ने लगी ! राजा उस लड़की को देखकर सोच में पढ़ गया और फिर विचार करने लगा कि यह लड़की बहुत छोटी है शायद यह मुझसे कुछ पूछने आ रही है ! वह लड़की धीरे धीरे चलती हुई राजा के पास पहुंची और उसने अपने नन्हे हाथों से राजा को हाथ लगा दिया ! राजा को हाथ लगाते ही राजा उस लड़की का हो गया और राजा की प्रत्येक वस्तु भी उस लड़की की हो गयी !
जिस प्रकार उन लोगों को राजा ने मौका दिया था और उन लोगों ने गलती की; ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी हमे हर रोज मौका देता है और हम हर रोज गलती करते है ! हम ईश्वर को हाथ लगाने अथवा पाने की बजाएँ ईश्वर की बनाई हुई संसारी वस्तुओं की कामना करते है और उन्हें प्राप्त करने के लिए यत्न करते है पर हम कभी इस बात पर विचार नहीं करते कि यदि ईश्वर हमारे हो गए तो उनकी बनाई हुई प्रत्येक वस्तु भी हमारी हो जाएगी !
।।जय गुरु।।
Posted by S.K.Mehta, Gurugram
शनिवार, 4 अगस्त 2018
कहानी - किस्से आपने खूब पढ़े होंगे मगर जो बात मैं आपसे कहने जा रहा हूँ वह अगर आपके मर्म को छू जाए तो.... | Kahani-kisse |
कहानी - किस्से आपने खूब पढ़े होंगे मगर जो बात मैं आपसे कहने जा रहा हूँ वह अगर आपके मर्म को छू जाए तो अपने बच्चों को अवश्य बताएं : -
पढ़ाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाने की चाह में इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा....
छात्र ने बड़ी आसानी से पहला इंटरव्यू पास कर लिया...
अब फाइनल इंटरव्यू
कंपनी के डायरेक्टर को लेना था...
और डायरेक्टर को ही तय
करना था कि उस छात्र को नौकरी पर रखा जाए या नहीं...
डायरेक्टर ने छात्र का सीवी (curricular vitae) देखा और पाया कि पढ़ाई के साथ- साथ यह छात्र ईसी (extra curricular activities) में भी हमेशा अव्वल रहा...
डायरेक्टर- "क्या तुम्हें पढ़ाई के दौरान
कभी छात्रवृत्ति (scholarship) मिली...?"
छात्र- "जी नहीं..."
डायरेक्टर- "इसका मतलब स्कूल-कॉलेज की फीस तुम्हारे पिता अदा करते थे.."
छात्र- "जी हाँ , श्रीमान ।"
डायरेक्टर- "तुम्हारे पिताजी क्या काम करते है?"
छात्र- "जी वो लोगों के कपड़े धोते हैं..."
यह सुनकर कंपनी के डायरेक्टर ने कहा- "ज़रा अपने हाथ तो दिखाना..."
छात्र के हाथ रेशम की तरह मुलायम और नाज़ुक थे...
डायरेक्टर- "क्या तुमने कभी कपड़े धोने में अपने पिताजी की मदद की...?"
छात्र- "जी नहीं, मेरे पिता हमेशा यही चाहते थे
कि मैं पढ़ाई करूं और ज़्यादा से ज़्यादा किताबें
पढ़ूं...
हां, एक बात और, मेरे पिता बड़ी तेजी से कपड़े धोते हैं..."
डायरेक्टर- "क्या मैं तुम्हें एक काम कह सकता हूं...?"
छात्र- "जी, आदेश कीजिए..."
डायरेक्टर- "आज घर वापस जाने के बाद अपने पिताजी के हाथ धोना...
फिर कल सुबह मुझसे आकर मिलना..."
छात्र यह सुनकर प्रसन्न हो गया...
उसे लगा कि अब नौकरी मिलना तो पक्का है,
तभी तो डायरेक्टर ने कल फिर बुलाया है...
छात्र ने घर आकर खुशी-खुशी अपने पिता को ये सारी बातें बताईं और अपने हाथ दिखाने को कहा...
पिता को थोड़ी हैरानी हुई...
लेकिन फिर भी उसने बेटे
की इच्छा का मान करते हुए अपने दोनों हाथ उसके
हाथों में दे दिए...
छात्र ने पिता के हाथों को धीरे-धीरे धोना शुरू किया.
साथ ही उसकी आंखों से आंसू भी झर-झर बहने लगे...
पिता के हाथ रेगमाल (emery paper) की तरह सख्त और जगह-जगह से कटे हुए थे...
यहां तक कि जब भी वह कटे के निशानों पर पानी डालता, चुभन का अहसास
पिता के चेहरे पर साफ़ झलक जाता था...।
छात्र को ज़िंदगी में पहली बार एहसास हुआ कि ये
वही हाथ हैं जो रोज़ लोगों के कपड़े धो-धोकर उसके
लिए अच्छे खाने, कपड़ों और स्कूल की फीस का इंतज़ाम करते थे...
पिता के हाथ का हर छाला सबूत था उसके एकेडैमिक कैरियर की एक-एक
कामयाबी का...
पिता के हाथ धोने के बाद छात्र को पता ही नहीं चला कि उसने उस दिन के बचे हुए सारे कपड़े भी एक-एक कर धो डाले...
उसके पिता रोकते ही रह गए , लेकिन छात्र अपनी धुन में कपड़े धोता चला गया...
उस रात बाप- बेटे ने काफ़ी देर तक बातें कीं ...
अगली सुबह छात्र फिर नौकरी के लिए कंपनी के डायरेक्टर के ऑफिस में था...
डायरेक्टर का सामना करते हुए छात्र की आंखें गीली थीं...
डायरेक्टर- "हूं , तो फिर कैसा रहा कल घर पर ?
क्या तुम अपना अनुभव मेरे साथ शेयर करना पसंद करोगे....?"
छात्र- " जी हाँ , श्रीमान कल मैंने जिंदगी का एक वास्तविक अनुभव सीखा...
नंबर एक... मैंने सीखा कि सराहना क्या होती है...
मेरे पिता न होते तो मैं पढ़ाई में इतनी आगे नहीं आ सकता था...
नंबर दो... पिता की मदद करने से मुझे पता चला कि किसी काम को करना कितना सख्त और मुश्किल होता है...
नंबर तीन.. . मैंने रिश्तों की अहमियत पहली बार
इतनी शिद्दत के साथ महसूस की..."
डायरेक्टर- "यही सब है जो मैं अपने मैनेजर में देखना चाहता हूं...
मैं यह नौकरी केवल उसे देना चाहता हूं जो दूसरों की मदद की कद्र करे,
ऐसा व्यक्ति जो काम किए जाने के दौरान दूसरों की तकलीफ भी महसूस करे...
ऐसा शख्स जिसने
सिर्फ पैसे को ही जीवन का ध्येय न बना रखा हो...
मुबारक हो, तुम इस नौकरी के पूरे हक़दार हो..."
आप अपने बच्चों को बड़ा मकान दें, बढ़िया खाना दें,
बड़ा टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर सब कुछ दें...
लेकिन साथ ही अपने बच्चों को यह अनुभव भी हासिल करने दें कि उन्हें पता चले कि घास काटते हुए कैसा लगता है ?
उन्हें भी अपने हाथों से ये काम करने दें...
खाने के बाद कभी बर्तनों को धोने का अनुभव भी अपने साथ घर के सब बच्चों को मिलकर करने दें...
ऐसा इसलिए
नहीं कि आप मेड पर पैसा खर्च नहीं कर सकते,
बल्कि इसलिए कि आप अपने बच्चों से सही प्यार करते हैं...
आप उन्हें समझाते हैं कि पिता कितने भी अमीर
क्यों न हो, एक दिन उनके बाल सफेद होने ही हैं...
सबसे अहम हैं आप के बच्चे किसी काम को करने
की कोशिश की कद्र करना सीखें...
एक दूसरे का हाथ
बंटाते हुए काम करने का जज्ब़ा अपने अंदर
लाएं...
यही है सबसे बड़ी सीख......
जय गुरु
Posted by S.K.Mehta, Gurugram
शनिवार, 21 जुलाई 2018
काटने (अलग करने) वाले की जगह हमेशा नीचे होती है।
कहानी : काटने (अलग करने) वाले की जगह हमेशा नीचे होती है और जोडने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है ।
एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण,एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया ।
वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा ।
उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं ।
फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।
जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?
पापा ने कहा-बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?
बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?
इसका जो उत्तर पापा ने दिया-उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।
उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है ।
यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं........!!
मंगलवार, 17 जुलाई 2018
एक गरीब वृद्ध पिता के पास अपने अन्तिम समय में ... | Ek Gyanprad Kahani | Santmat-Satsang
एक गरीब वृद्ध पिता के पास अपने अंतिम समय में दो बेटों को देने के लिए मात्र एक आम था। पिताजी आशीर्वादस्वरूप दोनों को वही देना चाहते थे, किंतु बड़े भाई ने आम हठपूर्वक ले लिया। रस चूस लिया छिल्का अपनी गाय को खिला दिया। गुठली छोटे भाई के आँगन में फेंकते हुए कहा- ' लो, ये पिताजी का तुम्हारे लिए आशीर्वाद है।'
छोटे भाई ने ब़ड़ी श्रद्धापूर्वक गुठली को अपनी आँखों व सिर से लगाकर गमले में गाढ़ दिया। छोटी बहू पूजा के बाद बचा हुआ जल गमले में डालने लगी। कुछ समय बाद आम का पौधा उग आया, जो देखते ही देखते बढ़ने लगा। छोटे भाई ने उसे गमले से निकालकर अपने आँगन में लगा दिया। कुछ वर्षों बाद उसने वृक्ष का रूप ले लिया। वृक्ष के कारण घर की धूप से रक्षा होने लगी, साथ ही प्राणवायु भी मिलने लगी। बसंत में कोयल की मधुर कूक सुनाई देने लगी। बच्चे पेड़ की छाँव में किलकारियाँ
भरकर खेलने लगे।
पेड़ की शाख से झूला बाँधकर झूलने लगे। पेड़ की छोटी-छोटी लक़िड़याँ हवन करने एवं बड़ी लकड़ियाँ
घर के दरवाजे-खिड़कियों में भी काम आने लगीं। आम के पत्ते त्योहारों पर तोरण बाँधने के काम में आने लगे। धीरे-धीरे वृक्ष में कैरियाँ लग गईं। कैरियों से अचार व मुरब्बा डाल दिया गया। आम के रस से घर-परिवार के सदस्य रस-विभोर हो गए तो बाजार में आम के अच्छे दाम मिलने से आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई। रस से पाप़ड़ भी बनाए गए, जो पूरे साल मेहमानों व घर वालों को आम रस की याद दिलाते रहते। ब़ड़े बेटे को आम फल का सुख क्षणिक ही मिला तो छोटे बेटे को पिता का ' आशीर्वाद' दीर्घकालिक व सुख- समृद्धिदायक मिला।
यही हाल हमारा भी है परमात्मा हमे सब कुछ देता है सही उपयोग हम करते नही हैं दोष परमात्मा और किस्मत को देते हैं। जय गुरु।
प्रस्तुति: शिवेन्द्र कुमार मेहता, गुरुग्राम
सब कोई सत्संग में आइए | Sab koi Satsang me aaeye | Maharshi Mehi Paramhans Ji Maharaj | Santmat Satsang
सब कोई सत्संग में आइए! प्यारे लोगो ! पहले वाचिक-जप कीजिए। फिर उपांशु-जप कीजिए, फिर मानस-जप कीजिये। उसके बाद मानस-ध्यान कीजिए। मा...
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।। श्री सद्गुरुवे नमः ।। पूरा सतगुरु सोए कहावै, दोय अखर का भेद बतावै।। एक छुड़ावै एक लखावै, तो प्राणी निज घर जावै।। जै पंडित तु पढ़िया, ...
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संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस की 137वीं जयन्ती पर विशेष मानव कल्याण के लिए अवतरित महर्षि मेँहीँ विश्व के प्राय: हर देश के इतिहास में ऐसे ...
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सब कोई सत्संग में आइए! प्यारे लोगो ! पहले वाचिक-जप कीजिए। फिर उपांशु-जप कीजिए, फिर मानस-जप कीजिये। उसके बाद मानस-ध्यान कीजिए। मा...