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सोमवार, 3 सितंबर 2018

खुद को सिर्फ पैसा कमाने में लगा देना सही नहीं है।

खुद को सिर्फ पैसा कमाने में लगा देना सही नहीं है!
एक बढ़ई रोज कुछ बनाता और बेचकर खुश रहता था। वह संतुष्ट था और काम के समय खुशी से गुनगुनाता रहता था। एक दिन एक अमीर पड़ोसी उसके ठोकने-पीटने की आवाज से परेशान हो उठा। वह शोर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। पड़ोसी ने बढ़ई को शांत करने की एक योजना बनाई। उसने कई सौ रुपये निकाले और उन्हें एक लिफाफे में डालकर बढ़ई की दुकान में रख दिया। उसने सोचा कि अब बढ़ई को काम नहीं करना पड़ेगा।
बढ़ई दुकान में आया तो उसे वहां लिफाफा पड़ा मिला। उसने सोचा- इन पैसों से कुछ लेकर मैं नए औजार खरीदूंगा ताकि और बेहतर फर्नीचर बना सकूं और ज्यादा पैसा कमा सकूं। पैसों ने बढ़ई की धन कमाने की इच्छा को भड़का दिया। उसने और मेहनत शुरू कर दी, ताकि वह हाल में मिले कई सौ रुपयों को हजारों में बदल सके। उसने खूब पैसे कमाने शुरू कर दिए, लेकिन वह वहीं संतुष्ट नहीं हुआ। उसने सोचा कि वह हजारों को दस हजारों में बदल डाले। बढ़ई शांत होने के बजाय और शोर करने लगा था। अब वह और अधिक काम करता था।

बढ़ई ने दस हजार कमा लिए तो अब वह लाख कमाना चाहता था। वह दिन-रात काम करने लगा। जल्द ही उसने गुनगुनाना छोड़ दिया। उसे अब अपने काम में आनंद नहीं आता था। रात में कई बार वह इतने तनाव में होता कि सो भी नहीं पाता था। उसका आंतरिक संतोष और शांति धन कमाने के चक्कर में गायब हो चुकी थी। अब हम खुद पर पर नजर डालें। क्या हम ज्यादा कमाने के लिए देर तक काम करते हैं? क्या अधिक लाभ के लिए अवकाश में भी काम करते रहते हैं? क्या हम हम अपने काम-काज से एक दिन या कुछ घंटे का भी अवकाश, बिना अपने काम-काज के बारे में सोचे हुए नहीं ले पाते? अगर ऐसा है तो क्या हम बढ़ई जैसे ही नहीं बन रहे।

हम पैसा कमाने में बहुत समय लगा रहे हैं और अपने परिवार, अपने शौक, अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों और अपनी पसंद की चीजों में समय नहीं दे पा रहे, तो हमें सोचने की जरूरत है- क्या हम सही चुनाव कर रहे हैं। भविष्य के लिए बचाकर रखना अच्छा है पर खुद को सिर्फ कमाने में लगा देना कितना सही है? कौन जानता है भविष्य में क्या होगा? हम अपने आध्यात्मिक कार्यों को बुढ़ापे में करने के लिए छोड़ दें तो कौन जाने कितना समय मिलेगा। ध्यान दें कि हम अपना समय कैसे गुजारते हैं। लगे कि दूसरे लक्ष्य महत्त्वपूर्ण हैं, तो जीवन भर उनके लिए समय निकालने का प्रयास करते रहना चाहिए। तय कर लें कि पैसे और जायदाद की सनक से पैदा हुए तनाव से हम अपनी शांति और संतोष खत्म नहीं होने देंगे।
।।जय गुरु।।
Posted by S.K.Mehta, Gurugram
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बुधवार, 29 अगस्त 2018

आनंदित रहने की कला | Anandit rahne ki kala | Santmat-Satsang

।। आनंदित रहने की कला ।।
एक राजा बहुत दिनों से विचार कर रहा था कि वह राजपाट छोड़कर अध्यात्म (ईश्वर की खोज) में समय लगाए। राजा ने इस बारे में बहुत सोचा और फिर अपने गुरु को अपनी समस्याएँ बताते हुए कहा कि उसे राज्य का कोई योग्य वारिस नहीं मिल पाया है । राजा का बच्चा छोटा है, इसलिए वह राजा बनने के योग्य नहीं है । जब भी उसे कोई पात्र इंसान मिलेगा, जिसमें राज्य सँभालने के सारे गुण हों, तो वह राजपाट छोड़कर शेष जीवन अध्यात्म के लिए समर्पित कर देगा ।

गुरु ने कहा, "राज्य की बागड़ोर मेरे हाथों में क्यों नहीं दे देते ? क्या तुम्हें मुझसे ज्यादा पात्र, ज्यादा सक्षम कोई इंसान मिल सकता है ?"*

राजा ने कहा, "मेरे राज्य को आप से अच्छी तरह भला कौन संभल सकता है ? लीजिए, मैं इसी समय राज्य की बागड़ोर आपके हाथों में सौंप देता हूँ ।"

गुरु ने पूछा, "अब तुम क्या करोगे ?"

राजा बोला, "मैं राज्य के खजाने से थोड़े पैसे ले लूँगा, जिससे मेरा बाकी जीवन चल जाए ।"

गुरु ने कहा, "मगर अब खजाना तो मेरा है, मैं तुम्हें एक पैसा भी लेने नहीं दूँगा ।"

राजा बोला, "फिर ठीक है, "मैं कहीं कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लूँगा, उससे जो भी मिलेगा गुजारा कर लूँगा ।"

गुरु ने कहा, "अगर तुम्हें काम ही करना है तो मेरे यहाँ एक नौकरी खाली है । क्या तुम मेरे यहाँ नौकरी करना चाहोगे ?"

राजा बोला, "कोई भी नौकरी हो, मैं करने को तैयार हूँ ।"

*गुरु ने कहा, "मेरे यहाँ राजा की नौकरी खाली है । मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए यह नौकरी करो और हर महीने राज्य के खजाने से अपनी तनख्वाह लेते रहना ।"*

एक वर्ष बाद गुरु ने वापस लौटकर देखा कि राजा बहुत खुश था । अब तो दोनों ही काम हो रहे थे । जिस अध्यात्म के लिए राजपाट छोड़ना चाहता था, वह भी चल रहा था और राज्य सँभालने का काम भी अच्छी तरह चल रहा था । अब उसे कोई चिंता नहीं थी ।

इस कहानी से समझ में आएगा की वास्तव में क्या परिवर्तन हुआ ? कुछ भी तो नहीं! राज्य वही, राजा वही, काम वही; दृष्टीकोण बदल गया ।

इसी तरह हम भी जीवन में अपना दृष्टीकोण बदलें । मालिक बनकर नहीं, बल्कि यह सोचकर सारे कार्य करें की, "मैं ईश्वर कि नौकरी कर रहा हूँ" अब ईश्वर ही जाने । और सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दें । फिर ही आप हर समस्या और परिस्थिति में खुशहाल रह पाएँगे ।आपने देखा भी होगा की नौकरों को कोई चिंता नहीं होती मालिक का चाहे फायदा हो या नुकसान वो मस्त रहते हैं । सब छोड़ दो वही जानें!!
।। जय गुरु ।।
Posted by S.K.Mehta, Gurugram
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सोमवार, 30 जुलाई 2018

एक संत ने एक रात स्वप्न देखा कि उनके पास एक देवदूत आया है, देवदूत के हाथ में एक सूची है। Ek Sant ka swapna | Ek Katha |

एक संत ने एक रात स्वप्न देखा कि उनके पास एक देवदूत आया है, देवदूत के हाथ में एक सूची है। उसने कहा, ‘यह उन लोगों की सूची है, जो प्रभु से प्रेम करते हैं।’ संत ने कहा, ‘मैं भी प्रभु से प्रेम करता हूँ, मेरा नाम तो इसमें अवश्य होगा।’ देवदूत बोला, ‘नहीं, इसमें आप का नाम नहीं है।’ संत उदास हो गए - फिर उन्होंने पूछा, ‘इसमें मेरा नाम क्यों नहीं है। मैं ईश्वर से ही नहीं अपितु गरीब, असहाय, जरूरतमंद सबसे प्रेम करता हूं। मैं अपना अधिकतर समय दूसरो की सेवा में लगाता हूँ, उसके बाद जो समय बचता है उसमें प्रभु का स्मरण करता हूँ - तभी संत की आंख खुल गई।


दिन में वह स्वप्न को याद कर उदास थे, एक शिष्य ने उदासी का कारण पूछा तो संत ने स्वप्न की बात बताई और कहा, ‘वत्स, लगता है सेवा करने में कहीं कोई कमी रह गई है।’ तभी मैं ईश्वर को प्रेम करने वालो की सूची में नहीं हूँ - दूसरे दिन संत ने फिर वही स्वप्न देखा, वही देवदूत फिर उनके सामने खड़ा था। इस बार भी उसके हाथ में कागज था। संत ने बेरुखी से कहा, ‘अब क्यों आए हो मेरे पास - मुझे प्रभु से कुछ नहीं चाहिए।’ देवदूत ने कहा, ‘आपको प्रभु से कुछ नहीं चाहिए, लेकिन प्रभु का तो आप पर भरोसा है। इस बार मेरे हाथ में दूसरी सूची है।’ संत ने कहा, ‘तुम उनके पास जाओ जिनके नाम इस सूची में हैं, मेरे पास क्यों आए हो ?’
देवदूत बोला, ‘इस सूची में आप का नाम सबसे ऊपर है।’ यह सुन कर संत को आश्चर्य हुआ - बोले, ‘क्या यह भी ईश्वर सेप्रेम करने वालों की सूची है।’ देवदूत ने कहा, ‘नहीं, यह वह सूची है जिन्हें प्रभु प्रेम करते हैं, ईश्वर से प्रेम करने वाले तो बहुत हैं, लेकिन प्रभु उसको प्रेम करते हैं जो सभी से प्रेम करता हैं। प्रभु उसको प्रेम नहीं करते जो दिन रात कुछ पाने के लिए प्रभु का गुणगान करते है।’ - प्रभु आप जैसे निर्विकार, निस्वार्थ लोगो से ही प्रेम करते है। संत की आँखे गीली हो चुकी थी - उनकी नींद फिर खुल गयी -वो आँसू अभी भी उनकी आँखों में थे ।
।। जय गुरु ।।
Posted by S.K.Mehta, Gurugram
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सब कोई सत्संग में आइए | Sab koi Satsang me aaeye | Maharshi Mehi Paramhans Ji Maharaj | Santmat Satsang

सब कोई सत्संग में आइए! प्यारे लोगो ! पहले वाचिक-जप कीजिए। फिर उपांशु-जप कीजिए, फिर मानस-जप कीजिये। उसके बाद मानस-ध्यान कीजिए। मा...