जो सत्य बोलता है, सत्य ही उसकी रक्षा करता है। घोर संकट में पड़कर भी वह उबर जाता है। वह बड़ा निर्भय होता है, उसे अंतर-ही-अंतर बड़ा संतुष्टिकारक आनंद मिलता है। सत्य व्यवहार से सब लोग प्रसन्न रहते हैं और अपने ही अपने हो जाते हैं। सत्यनिष्ठा बुरे लोगों को भी प्रभावित करती है। -पूज्यपाद स्वामी श्री छोटेलाल दास जी
प्रस्तुति: शिवेन्द्र कुमार मेहता, गुरुग्राम
Sant Sadguru Maharshi Mehi Paramahansa Ji Maharaj is a great Sant of 20th century. He did not establish any new creed other than Santmat. He became a legendary Spiritual Master in the most ancient tradition of SANTMAT. Naturally a question arises, "What is Santmat ?" Is this a new creed? Who was the founder of Santmat? In His words, the definition of Santmat is as following:- "Stablemindedness or unfickleness of mind is the name of Shanti (peace or tranquility).
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रविवार, 1 जुलाई 2018
प्रतिज्ञा का पालन न करना, वचन का निर्वाह न करना झूठ ही है | पूज्यपाद स्वामी श्री छोटेलाल दास जी | Santmat-Satsang
प्रतिज्ञा का पालन न करना, वचन का निर्वाह न करना झूठ ही है। इससे पुण्य का क्षय होता है और संसार में अपकीर्ति होती है। बड़े लोग जो प्रण कर लेते हैं, उसपर मरते दम तक अडिग रहते हैं। किसी को कोई वचन दे देते हैं, तो उसका निर्वाह करना किसी भी कीमत पर वे अपना परम कर्तव्य समझते हैं। राजा हरिश्चन्द्र ने अपना राजपाट स्वप्न में विश्वामित्र को दान कर दिया था। स्वप्न की बात को भी उन्होंने सत्य करके दिखाया। इसके लिए उन्हें कितना कष्ट सहना पड़ा, लोग जानते ही हैं।महात्मा सुकरात ने जहर का प्याला स्वीकार किया; परन्तु सत्य के रास्ते से हटकर जीना पसंद नहीं किया। घोर राजनीति के बीच महात्मा गाँधी ने भी अनेकानेक कष्ट झेलते हुए सत्य और अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा था।
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