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बुधवार, 15 अगस्त 2018

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त! मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी!! | Maharshi-Mehi | Santmat-Satsang | SANTMEHI

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त!
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी!!


२०वीं सदी के महान संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ने दिनांक : १-६-१९५२ ई० को एक साहित्य-सम्मेलन के दौरान अपने वक्तव्य में कहा था:-
अपने देश में अब कई वर्षों से स्वराज्य प्राप्त है। यह हमें भारतीय जनता के लिए सर्वेश्वर की असीम कृपा से अहोभाग्य है। स्वराज्य प्राप्त होने के पहले आशा थी कि स्वराज्य प्राप्त होने पर हम लोगों को सुराज्य होगा और हम लोग सुखी हो जाएंगे।  परंतु हम लोग स्वराज्य पाने पर अपने को सुखी नहीं पा रहे हैं। क्योंकि अपने में अनैतिकता, भ्रष्टाचार, केवल भौतिकता की ओर झुकाव और आध्यात्मिकता की ओर से मुख मोड़ाव का साम्राज्य हमारे यहां हो गया है।  इसी से स्वराज में हम सुराज्य नहीं देख रहे हैं और जनता दुखी है। जैसे विदेशी शासन की प्रबल शक्ति को हमलोगों ने अनेक कष्टों और अपमानों को सहन करके अपने देश से हटाया है, उसी तरह चाहिए कि इस कथित साम्राज्य को भी हम लोग दूर कर दें।

कबीर साहब कहते हैं -
छिमा गहो हो भाई, धर सतगुरु चरणी ध्यान रे।।
मिथ्या कपट तजो चतुराई, तजो जाति अभिमान रे।
दया दीनता क्षमता धारो, हो जीवन मृतक समान रे।।
सुरत निरत मन पवन एक करि, सुनो शब्द धुन तान रे।
कहै कबीर पहुंचो सतलोका, जहां रहै पुरुष अमान रे।।

इस अमृतमय शब्द को समझकर इसमें निहित सदुपदेशों के अनुकूल यदि लोग आचरण करें, तो वे झूठ, चोरी, चोरी-बजारी और घूसखोरी, घृणित स्वार्थ, पर-पीड़न, धूर्तता और कपट आदि जो सुराज्य के परमबाधक हैं और जनता के परम दुखदाई हैं, सबको छोड़ देंगे। देश में सुराज्य होगा, जनता सुखी हो जाएगी और साथ-ही-साथ मोक्ष धर्म-साधन में भी जनता लग जाएगी जिससे उनका परम कल्याण हो जाएगा। इहलोक और परलोक दोनों में सुख प्राप्त होगा।

परमात्म-भक्ति की ओर अर्थात आध्यात्मिकता की ओर का प्रेरण, समाज को सदाचार पालन की ओर प्रेरण करेगा। सदाचार पालन से सामाजिक-नीति और आचरण उत्तम बनेंगे। राजनीति तथा शासन सूत्र का संचालन भी तब निर्दोष और सुखदायक होगा। इस तरह से राज्य में सुराज्य होगा और देशवासी सुखी हो जाएँगे।
-संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज
।।जय गुरु महाराज।।
प्रस्तुति: शिवेन्द्र कुमार मेहता, गुरुग्राम
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