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शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? | HAMARE JEEVAN KA LAKSHYA KYA HAI | SANTMAT-SATSANG

हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है ?

जागना कल्याण के लिए है और सोना नाश के लिए है|

मनुष्य जन्मकाल से शरीर की साधना, निद्रा, नित्य आवश्यकताओं की निवृत्ति, खान-पान, व्यायाम, विश्राम आदि में अपना समय व्यतीत करता है। उसके पश्चात् पेट के धन्धे के लिए अपना समय निकालता है। फिर घर-गृहस्थी के कामों के लिए समय व्यतीत करता है। उसके पश्चात् रिश्तेदारों, मित्रों, पड़ोसियों, मुहल्लेदारों और सहव्यवसायियों के लिए सुख-दु:ख में सम्मिलित होता है। उसके अनन्तर वह आलस्य, प्रमाद, मनोरंजन और समाचार-पत्र का शिकार हो जाता है। ये पाँच काम तो संसार का प्राय: प्रत्येक व्यक्ति करता ही है। छठा काम, ईश्वर-भक्ति, धर्मग्रन्थों का अध्ययन और सत्संग करने वाले संसार में थोड़े व्यक्ति हैं। यही अध्यात्म-जागरण का मार्ग है।

प्रत्येक मनुष्य जीवन-भर उपरोक्त पाँचों कामों में अपना समय व्यतीत कर देता है। जितनी आयु तक वह ये काम करता है वह आयु सांसारिक आयु होती है। पारमार्थिक आयु तभी से समझनी चाहिए जब से व्यक्ति में आध्यात्मिक जागरण आ जाये। यही वास्तविक आयु है, क्योंकि जीवन का लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार और परमात्म-साक्षात्कार है।

महाराज विक्रमादित्य कहीं जा रहे थे। एक अत्यंत वृद्ध पुरुष को देखकर उन्होंने पूछा, 'महाशय ! आपकी आयु कितनी है?'
वृद्ध ने अपनी श्वेत दाढ़ी हिलाते हुए कहा, 'श्रीमान जी ! केवल चार वर्ष' ।

यह सुनकर राजा को बड़ा क्रोध आया। वह बोला, 'तुम्हें शर्म आनी चाहिए। इतने वृद्ध होकर भी झूठ बोलते हो। तुम्हें अस्सी वर्ष से कम कौन कहेगा?'

वृद्ध बोला, 'श्रीमान्, आप ठीक कहते हैं। किंतु इन अस्सी वर्षों में से 76 वर्ष तक तो मैं पशु की तरह अपने कुटुम्ब का भार वहन करता रहा। अपने कल्याण की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। अत: वह तो पशु-जीवन था। अभी चार वर्ष से ही मैंने आत्म-कल्याण की ओर ध्यान दिया है। इससे मेरे मनुष्य जीवन की आयु चार वर्ष की है। और वही मैंने आपको बताई है।'

जय गुरुदेव

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