खुद को सिर्फ पैसा कमाने में लगा देना सही नहीं है!
एक बढ़ई रोज कुछ बनाता और बेचकर खुश रहता था। वह संतुष्ट था और काम के समय खुशी से गुनगुनाता रहता था। एक दिन एक अमीर पड़ोसी उसके ठोकने-पीटने की आवाज से परेशान हो उठा। वह शोर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। पड़ोसी ने बढ़ई को शांत करने की एक योजना बनाई। उसने कई सौ रुपये निकाले और उन्हें एक लिफाफे में डालकर बढ़ई की दुकान में रख दिया। उसने सोचा कि अब बढ़ई को काम नहीं करना पड़ेगा।
बढ़ई दुकान में आया तो उसे वहां लिफाफा पड़ा मिला। उसने सोचा- इन पैसों से कुछ लेकर मैं नए औजार खरीदूंगा ताकि और बेहतर फर्नीचर बना सकूं और ज्यादा पैसा कमा सकूं। पैसों ने बढ़ई की धन कमाने की इच्छा को भड़का दिया। उसने और मेहनत शुरू कर दी, ताकि वह हाल में मिले कई सौ रुपयों को हजारों में बदल सके। उसने खूब पैसे कमाने शुरू कर दिए, लेकिन वह वहीं संतुष्ट नहीं हुआ। उसने सोचा कि वह हजारों को दस हजारों में बदल डाले। बढ़ई शांत होने के बजाय और शोर करने लगा था। अब वह और अधिक काम करता था।
बढ़ई ने दस हजार कमा लिए तो अब वह लाख कमाना चाहता था। वह दिन-रात काम करने लगा। जल्द ही उसने गुनगुनाना छोड़ दिया। उसे अब अपने काम में आनंद नहीं आता था। रात में कई बार वह इतने तनाव में होता कि सो भी नहीं पाता था। उसका आंतरिक संतोष और शांति धन कमाने के चक्कर में गायब हो चुकी थी। अब हम खुद पर पर नजर डालें। क्या हम ज्यादा कमाने के लिए देर तक काम करते हैं? क्या अधिक लाभ के लिए अवकाश में भी काम करते रहते हैं? क्या हम हम अपने काम-काज से एक दिन या कुछ घंटे का भी अवकाश, बिना अपने काम-काज के बारे में सोचे हुए नहीं ले पाते? अगर ऐसा है तो क्या हम बढ़ई जैसे ही नहीं बन रहे।
हम पैसा कमाने में बहुत समय लगा रहे हैं और अपने परिवार, अपने शौक, अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों और अपनी पसंद की चीजों में समय नहीं दे पा रहे, तो हमें सोचने की जरूरत है- क्या हम सही चुनाव कर रहे हैं। भविष्य के लिए बचाकर रखना अच्छा है पर खुद को सिर्फ कमाने में लगा देना कितना सही है? कौन जानता है भविष्य में क्या होगा? हम अपने आध्यात्मिक कार्यों को बुढ़ापे में करने के लिए छोड़ दें तो कौन जाने कितना समय मिलेगा। ध्यान दें कि हम अपना समय कैसे गुजारते हैं। लगे कि दूसरे लक्ष्य महत्त्वपूर्ण हैं, तो जीवन भर उनके लिए समय निकालने का प्रयास करते रहना चाहिए। तय कर लें कि पैसे और जायदाद की सनक से पैदा हुए तनाव से हम अपनी शांति और संतोष खत्म नहीं होने देंगे।
।।जय गुरु।।
Posted by S.K.Mehta, Gurugram
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