🙏🌷इस योग्य हम कहाँ हैं🌷🙏
इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुझे रिझायें।
फिर भी मना रहे हैं, शायद तू मान जाये।।
जब से जनम लिया है, विषयों ने हमको घेरा।
छल और कपट ने डाला, इस भोले मन पे डेरा।
सदबुद्धि को अहम् ने, हरदम रखा दबाये।।
इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुझे रिझायें..
निश्चय ही हम पतित हैं, लोभी हैं स्वार्थी हैं।
तेरा ध्यान जब लगायें, माया पुकारती है।
सुख भोगने की इच्छा, कभी तृप्ति हो न पाये।।
इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुझे रिझायें..
जग में जहाँ भी देखा, बस एक ही चलन है।
इक दूसरे के सुख में, खुद को बड़ी जलन है।
कर्मों का लेखा जोखा, कोई समझ न पाये।।
इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुझे रिझायें..
जब कुछ न कर सके तो, तेरी शरण में आये।
अपराध मानते हैं, झेलेंगे सब सजायें।
बस दरश तू दिखा दे, कुछ और हम न चाहें।।
इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुझे रिझायें..
🙏🌹🌷 जय गुरुदेव 🌷🌹🙏
एस.के. मेहता, गुरुग्राम
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