प्रसिद्ध व धनवान व्यक्ति कैसे बनें ?
दोस्तों ! व्यक्तित्व को ऊंचा उठाने के लिए दान करना अनिवार्य है| जीवन की सबसे सुखद अनुभूति देने में है | दुनिया एपीजे अब्दुल कलाम, मदरटरेसा, बिलगेट्स, अक्षय कुमार जैसे देने वालो को नाम याद रखती है | आपको किसी भिखारी का नाम याद है ? आपने किसी भिखारी को प्रसिद्ध होते हुए सुना है ? ब्रज मोहन जी कहते हैं कि -
"धनवान वही बनते है जो अपनी जेब खोलते हैं मतलब जो अपनी कमाई में से कुछ हिस्सा दुसरो की मदद के लिए दान करते हैं"
कैसे ? जब आप किसी की निस्वार्थ मदद करते हैं तो लेने वाले का ह्रदय प्रसन होता है | लेने वाला आंतरिक मन से देने वाले को दुआ देता है | वो दुआ उसे यशस्वी बनाती है | और लोग आपकी तरफ आकर्षित होने लगते हैं | पोजेटिव एनर्जी आकर्षित होने लगती है | इससे आपका मनोबल बढ़ने लगता है | जो विपरीत परिस्थति में भी आगे बढ़ने का रास्ता खोज लेता है| और तब आप के आगे बढ़ने का रास्ता खुद ब खुद खुलता जाता हैं |
जब किसी को देते है तो महान बन जाते हैं | और जब किसी से लेते हैं तो डाउन हो जाते हैं | इसलिए अगर महान बनना है, धनवान बनना है, प्रसिद्ध बनना है तो अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान करें | वैसे भी जो धन तिजौरी में बंद पड़ा है किसी की मदद में , किसी गरीब लड़की की शादी करने में या किसी धार्मिक कार्य करने में खर्च नही किया जाता ऐसे धन का क्या करोगे ? बच्चों के लिए जोड़ोगे ?
"बच्चों को विरासत में धन देने की बजाए संस्कार दो, हॉइयर एजुकेशन दो जिससे कल वो आपकी विरासत पर नियत ना रखें बल्कि आपसे ज्यादा कमा सकें, आपसे बेटर लाइफ जी सकें और समाज में आपका नाम रोशन कर सकें"
किसी गरीब को रोटी कपडा देना ही दान नही है | हर जीव व प्राणी मात्र के प्रति करुणा रखना भी दान है | मानव जीवन का ये उद्देश्य होना चाहिए कि समाज के कल्याण के लिए सहयोग करें और ओर लोगो में सहयोग की भावना जगाएं | अपने से कमजोर तबके के लोगो को स्वालंबी बनाने व ऊपर उठने में सहयोग करें | परमात्मा ने आपको सक्षम बनाया है तो आप दुसरो को सक्षम बनाने में सहयोग करें |
अपना तन मन धन उपकार में लगा सकें तभी जीवन सार्थक है | तभी जीवन उपयोगी है | जीवन का बड़ा होना अनिवार्य नही है उपयोगी होना अनिवार्य है | जितना समाज व मानव उथान के हित के लिए आगे बढ़ेंगे उतना ही जीवन सार्थक होगा | तभी अपनी लाइफ में आगे बढ़ सकोगे बड़ा बन सकोगे |
हर मानव को खुद से एक सवाल करना चाहिए कि में इस दुनिया में क्यों आया हूँ ? मेरा इस जग में भेजने का परमात्मा का उद्देश्य क्या रहा होगा ? धरती नदी पर्वत हवा जीव, जंतु, पौधे, सभी हम लोगो को कुछ ना कुछ देते हैं |अन कंडिशनली देते हैं विदाउट ऐनी सेल्फ इन्टरेष्ट देते हैं | जो भी उनके पास है वो दिए जाते हैं बिना किसी कंडीशन के बिना किसी एक्सेप्टेशन के बिना कोई कीमत लिए |
हम ने अपने परिवार को समाज को व अपने देश को क्या दिया ? माली भी जब एक पौधा लगाता है उसे सालो सींचता है खाद देता है विपरीत परिस्थति में उसकी रक्षा करता है लेकिन जब उस पर फल लगते हैं तब उन्हें सब खाते हैं |
मजबूत बनो, हल्के बर्तन की तरह मत बनो | हल्के बर्तन चूल्हे पर चढ़ते ही आग बबूला हो जाते हैं उसमे डाले गए पदार्थ उफनने लगते हैं पर भारी भरकम बर्तनो में जो पकता है उसकी गति तो धीमी होती है पर परिपाक उन्ही में ठीक से बन पड़ता हमे बबूले की तरह फूलना फुदकना नही चहिये ऐसी रीति नीति स्थिर नही रहती वह कुछ क्षण में टूट जाती है |
।। जय गुरु महाराज ।।
प्रस्तुति: शिवेन्द्र कुमार मेहता, गुरुग्राम