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बुधवार, 16 मई 2018

जीवन में सदा शांति का एहसास - भगवान बुद्ध। Jeevan me shanti ka ehsas | Bhagwan Budha | Santmat Satsang

एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कही जा रहे थे। उनके प्रिय शिष्य आनंद ने मार्ग में उनसे एक प्रश्न पूछा -‘भगवान! जीवन में पूर्ण रूप से कभी शांति नहीं मिलती, कोई ऐसा मार्ग बताइए कि जीवन में सदा शांति का अहसास हो।

बुद्ध आनंद का प्रश्न सुनकर मुस्कुराते हुए बोले,’ तुम्हे इसका जबाब अवश्य देंगे किन्तु अभी हमें प्यास लगी है, पहले थोड़ा जल पी ले। क्या हमारे लिए थोड़ा जल लेकर आओगे?
बुद्ध का आदेश पाकर आनंद जल की खोज में निकला तो थोड़ी ही दूरी पर एक झरना नजर आया। वह जैसे ही करीब पंहुचा तब तक कुछ बैलगाड़िया वहां आ पहुंची और झरने को पार करने लगी। उनके गुजरने के बाद आनंद ने पाया कि झील का पानी बहुत ही गन्दा हो गया था इसलिए उसने कहीं और से जल लेने का निश्चय किया। बहुत देर तक जब अन्य स्थानों पर जल तलाशने पर जल नहीं मिला तो निराश होकर उसने लौटने का निश्चय किया।
उसके खाली हाथ लौटने पर जब बुद्ध ने पूछा तो उसने सारी बाते बताई और यह भी बोला कि एक बार फिर से मैं किसी दूसरी झील की तलाश करता हूँ जिसका पानी साफ़ हो । यह कहकर आनंद जाने लगा तभी भगवान बुद्ध की आवाज सुनकर वह रुक गया । बुद्ध बोले-‘दूसरी झील तलाश करने की जरुरत नहीं, उसी झील पर जाओ’ ।
आनन्द दोबारा उस झील पर गया किन्तु अभी भी झील का पानी साफ़ नहीं हुआ था । कुछ पत्ते आदि उस पर तैर रहे थे । आनंद दोबारा वापिस आकर बोला इस झील का पानी अभी भी गन्दा है । बुद्ध ने कुछ देर बाद उसे वहाँ जाने को कहा । थोड़ी देर ठहर कर आनंद जब झील पर पहुंचा तो अब झील का पानी बिलकुल पहले जैसा ही साफ़ हो चुका था । काई सिमटकर दूर जा चुकी थी, सड़े- गले पदार्थ नीचे बैठ गए थे और पानी आईने की तरह चमक रहा था ।
इस बार आनंद प्रसन्न होकर जल ले आया जिसे बुद्ध पीकर बोले कि ‘आनंद जो क्रियाकलाप अभी तुमने किया, तुम्हारा जबाब इसी में छुपा हुआ है । बुद्ध बोले -‘ हमारे जीवन के जल को भी विचारों की बैलगाड़ियां रोज गन्दा करती रहती है और हमारी शांति को भंग करती हैं । कई बार तो हम इनसे डर कर जीवन से ही भाग खड़े होते है, किन्तु हम भागे नहीं और मन की झील के शांत होने कि थोड़ी प्रतीक्षा कर लें तो सब कुछ स्वच्छ और शांत हो जाता है; "ठीक उसी झरने की तरह जहाँ से तुम ये जल लाये हो। यदि हम ऐसा करने में सफल हो गए तो जीवन में सदा शान्ति के अहसास को पा लेगे।" जय गुरु ।
प्रस्तुति: शिवेन्द्र कुमार मेहता, गुरुग्राम

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