आचार-व्यवहार
सुख भी नियम से दुख भी नियम से होना सिद्ध हुआ है !
१. बलवान दया पूर्वक सुखी होता है !
२. बुद्धिमान विवेक तथा विज्ञान पूर्वक सुखी होता है !
३. रूपवान सतचरित्रता पूर्वक सुखी होता है !
४. पदवान न्याय पूर्वक सुखी होता है !
५. धनवान उदारतापूर्वक सुखी होता है !
६. विद्यार्थी निष्ठापूर्वक सुखी होता है !
७. सहयोगी कर्तव्य पूर्वक सुखी होता है !
८. साथी दायित्व पूर्वक सुखी होता है !
९. तपस्वी संतोष पूर्वक सुखी होता है !
१०. लोकसेवक स्नेहपूर्वक सुखी होता है !
११. सह अस्तित्व में प्रेम पूर्वक मानव सुखी होता है !
१२. रोगी तथा बालक के साथ आज्ञापालन के रूप में सुख अनुभूतियां सिद्ध हुई है !
इसी प्रकार:-
१. पुरुष का जीवन व्यक्तित्व से सफल है !
२. स्त्री का जीवन सतीत्व से सफल है !
३. माता पिता का जीवन व्यक्तित्व से सफल है !
४. पुत्र का जीवन नैतिकता के प्रति निष्ठा से सफल है !
५. व्यवसाय न्यायपूर्ण नियम के समर्थन में पालन से सफल है !
६. प्रजा का जीवन समग्र व्यवस्था में भागीदारी से तथा अनुशासन एवं नियम को स्वीकारने से सफल है !
७. गुरु का जीवन अनुभव को प्रमाणिकता पूर्वक अध्ययन कराने से सफल है !
८. शिष्य का जीवन गुरु द्वारा कराए गए अध्ययन के श्रवण मनन और अर्थ बौध संपन्नता से सफल है !
९. सहयोगी का जीवन कर्तव्य का निर्वाह करने से सफल है !
१०. साथी का जीवन दायित्वों को निर्वाह करने से सफल है !
११. भाई या बहन का जीवन एक दूसरे के स्नेह सहित दायित्व वहन करने से सफल है !
१२. मित्र का जीवन परस्पर दिखावा रहित, उदारता पूर्वक समाधान (सहयोग) को प्रमाणित करने से सफल है !
अच्छा आचार-व्यवहार बनाएं. ...आपका सुखी जीवन रहे...इसी कामना के साथ... शुभप्रभात.... ....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
धन्यवाद!