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मंगलवार, 11 सितंबर 2018

जैसे-जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई... |

जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर मैं Rs.3000 की घड़ी पहनू या Rs.30000 की दोनों समय एक जैसा ही बताएंगी.!

मेरे पास Rs.3000 का बैग हो या Rs.30000 का इसके अंदर के सामान मे कोई परिवर्तन नहीं होंगा। !

मैं 300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के मकान में, तन्हाई का एहसास एक जैसा ही होगा।!

आख़ीर मे मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं बिजनेस क्लास में यात्रा करू या इक्नामी क्लास मे, अपनी मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा।!

इसीलिए _ अपने बच्चों को अमीर होने के लिए प्रोत्साहित मत करो बल्कि उन्हें यह सिखाओ कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें उसकी कीमत को नहीं....

फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था,
*ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा झूठ होती हैं जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों से पैसा निकालना होता है लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं*।

क्या यह आवश्यक है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू ताकि लोग मुझे बुद्धिमान और समझदार मानें?

क्या यह आवश्यक है कि मैं रोजाना Mac या Kfc में खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ?

क्या यह आवश्यक है कि मैं प्रतिदिन friends के साथ उठक-बैठक Downtown Cafe पर जाकर लगाया करूँ ताकि लोग यह समझें कि मैं एक रईस परिवार से हूँ?

क्या यह आवश्यक है कि मैं Gucci, Lacoste, Adidas या Nike के पहनूं ताकि high status वाली कहलाया जाऊँ?

क्या यह आवश्यक है कि मैं अपनी हर बात में दो चार अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं?

क्या यह आवश्यक है कि मैं Adele या Rihanna को सुनूँ ताकि साबित कर सकूँ कि मैं विकसित हो चुका हूँ?

_नहीं दोस्तों !!!

मेरे कपड़े तो आम दुकानों से खरीदे हुए होते हैं,
Friends के साथ किसी ढाबे पर भी बैठ जाता हूँ,

भुख लगे तो किसी ठेले से ले कर खाने मे भी कोई अपमान नहीं समझता,

अपनी सीधी सादी भाषा मे बोलता हूँ। चाहूँ तो वह सब कर सकता हूँ जो ऊपर लिखा है।।

_लेकिन ....

मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो एक branded जूतों की जोड़ी की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।

मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे एक Mac बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना सकते हैं।

बस मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि पैसा ही सब कुछ नहीं है जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं वह तुरंत अपना इलाज करवाएं।

मानव मूल की असली कीमत उसकी _नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सहानुभूति और भाईचारा है_। ना कि उसकी मौजुदा शक्ल और सूरत. !!!

सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति मे मेरी जगह कौन कार्य करेगा?
समस्त विश्व मे सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तभी  कोने से एक आवाज आई।
दीपक ने कहा "मै हूं  ना" मै अपना पूरा  प्रयास  करुंगा ।

आपकी सोच में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा -बड़ा होने से फर्क  नहीं पड़ता,सोच  बड़ी  होनी चाहिए। मन के भीतर एक दीप जलाएं और सदा मुस्कुराते रहें।

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धन्यवाद!

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