🙏🌹श्री सद्गुरवे नमः🌹🙏
🍁वर्षों पूर्व की बात मुझे याद आती है;
परम पूज्य गुरुदेवजी (पूज्यपाद महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज) के निकट एक साधु बाबा पधरे थे। प्रणिपात के पश्चात् आसन ग्रहण करके उन्होंने कहा: ‘महाराज! बिना चमत्कार के नमस्कार नहीं।’ पूज्य गुरुदेव ने दया करके पूछा: ‘महाराज! आप चमत्कार किसे कहते हैं?’ साधु बाबा मौन रहे। आराध्यदेव ने कहने की कृपा की ‘महाराज! मैं तो सदाचार को चमत्कार मानता हूँ।’
सद्+आचार = सदाचार अर्थात् उत्तम आचरण। उत्तम आचरण मानव-जीवन को समुज्वल बनाता है। सत्याचारी अलौकिक शक्तिसंपन्न होते हैं। उनके सम्मुख सुरगण भी नमन करते हैं। सदाचरण-संपन्न जन मरकर भी अमर रहते हैं, किन्तु आचरणहीन जन जीवित ही मृत होते हैं। सत्याचार; सत्य+आचार ही सदाचार है और यह एक ऐसा चमत्कार है, जिससे सर्वेश्वर का साक्षात्कार होता है। यथार्थतः जहाँ सदाचार है, वहीं चमत्कार है। जहाँ सदाचार नहीं, वहाँ मात्र बाहरी दिखावे के चमत्कार का कोई महत्त्व नहीं। -महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज
🙏🌸🌿।। जय गुरु ।।🌿🌸🙏
सौजन्य: *महर्षि मेँहीँ सेवा ट्रस्ट*
एस.के. मेहता, गुरुग्राम
🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
धन्यवाद!