दूसरे का दोष कभी नहीं देखना चाहिए! पर-दोष दर्शन नहीं, हम आत्म-सुधार करें! पर-दोष दर्शन में स्व-दोष दर्शन का सामर्थ्य व जीवन में भावी आत्म-सुधार की संम्भावना खो जाती है!
जहाँ आत्म-चिंतन व आत्म-सुधार की प्रवृति है, वहाँ से ही आत्म-मिलन की राह है!
Sant Sadguru Maharshi Mehi Paramahansa Ji Maharaj is a great Sant of 20th century. He did not establish any new creed other than Santmat. He became a legendary Spiritual Master in the most ancient tradition of SANTMAT. Naturally a question arises, "What is Santmat ?" Is this a new creed? Who was the founder of Santmat? In His words, the definition of Santmat is as following:- "Stablemindedness or unfickleness of mind is the name of Shanti (peace or tranquility).
सब कोई सत्संग में आइए! प्यारे लोगो ! पहले वाचिक-जप कीजिए। फिर उपांशु-जप कीजिए, फिर मानस-जप कीजिये। उसके बाद मानस-ध्यान कीजिए। मा...
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