🌼🌻मूर्ख🌻🌼
भगवान एक मूर्ख को उसके परिणाम भुगतने देता है। मूर्ख अपनी मूर्खता को प्रकट करता है। मूर्ख लोग अभिमानी होते हैं। मूर्खों ने हमेशा ज्ञान का तिरस्कार किया।
मूर्ख लोग मूर्ख बनने में लगे रहते हैं। मूर्ख कभी संतुष्ट नहीं होता है वह दुष्ट और धोखेबाज होता है।
बिना पढ़े ही स्वयं को ज्ञानी समझकर अंहकार करने वाले व्यक्ति, दरिद्र होकर भी बड़ी- बड़ी योजनाएं बनाने वाला व्यक्ति अज्ञानी और कम अक्ल वाला ही माना जाता है। जो व्यक्ति बिना पढ़े-लिखे, ज्ञान अर्जित किए घमंड रखने वाला, दरिद्र होकर भी जो व्यक्ति उसको दूर करने की बजाए बस बड़ी-बड़ी बातें करता है सिर्फ और सिर्फ मूर्ख व्यक्तियों की श्रेणी में आता है।
बिना मेहनत के धन की लालसा रखने वाला बैठे-बिठाए धन पाने की कामना करने वाला व्यक्ति मूर्ख कहलाता है।
स्वमर्थ य: परित्यज्य परार्थमनुतिष्ठति।
मिथ्या चरति मित्रार्थे यश्च मूढ: स उच्यते।।
जो व्यक्ति अपना काम छोड़कर दूसरों के काम में हाथ डालता है, वह वाकई में बुद्धिहीन कहलाता है। यह संसार का नियम है कि मनुष्य को पहले खुद में समझदार और सक्षम होना चाहिए तब ही दूसरों के मामले में पड़ना चाहिए। हालांकि संसार में ऐसे लोग भी हैं जो अपना काम तो ठीक से पूरा कर नहीं पाते हैं बल्कि दूसरों के मामले में भी पड़ जाते हैं, अब ऐसे लोग मूर्ख के अलावा और क्या कहे जाएंगे।
मित्रता संसार में बहुत ही अनमोल रिश्ता होता है इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन सही और गलत की पहचान होना अति आवश्यक है। एक अच्छे दोस्त की यही पहचान होती है कि अपने दोस्त को गलत मार्ग पर जाने से रोके, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मित्रता के चलते गलत काम में साथ देते हैं। ऐसे लोगों को भी मूर्ख कह सकते हैं। महाभारत में कर्ण समझदार होते हुए भी दुर्योधन के गलत कार्यों में भागी बने रहे परिणाम यह हुआ कि मित्र का पूरा विनाश हो गया और खुद भी मारे गए।
वालाअकामान् कामयति य: कामयानान् परित्यजेत्।
बलवन्तं च यो द्वेष्टि तमाहुर्मूढचेतसम्।।
जो व्यक्ति अपने हितैषियों को त्याग देता है तथा अपने शत्रुओं को गले लगाता है, उसके जितना मूर्ख तो कोई और हो ही नहीं सकता है। व्यक्ति अपने शुभचिंतक और दुश्मन में भेद करना नहीं जानता। यदि कोई व्यक्ति अपना भला सोचने वाले को छोड़ दे और उसकी जगह अपने दुश्मन का दामन थाम ले तो वह परममूर्ख माना जाएगा।
(प्रस्तुति: शिवेन्द्र कुमार, गुरुग्राम)
🙏🌼🌿।। जय गुरु ।।🌿🌼🙏