यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

एक प्रेरणा: एक कौआ जंगल में रहता था ...

|| एक प्रेरणा ||
एक कौआ जंगल में रहता था और अपने जीवन से संतुष्ट था...
एक दिन उसने एक हंस को देखा......
"यह हंस कितना सफ़ेद है,कितना सुन्दर है...मन ही मन उसने सोचा"......

उसे लगा यह सुन्दर हंस संसार का सबसे सुखी पंछी होगा, जबकि मैं कितना काला हूँ.....
यह सोच कर,अब तक, अपने जीवन को संतुष्टि से गुज़ारने वाला कौआ परेशान हो उठा, उससे रहा नहीं गया और उसने अपने मनोभाव हंस को बताये....
हंस बोला नहीं मित्र वास्तविकता ऐसी है, कि पहले मैं ख़ुद को आसपास के सभी पक्षियों में सुखी समझता था किन्तु जब मैंने तोते को देखा तो पाया उसके दो रंग हैं और वह कितना मीठा बोलता है, तबसे मुझे लगा सब पंछियों में तोता ही सुन्दर तथा सुखी है...
अब कौआ तोते के पास गया....
तोते ने कहा,
मैं सुखी जीवन जी रहा था, लेकिन जब मैंने मोर को देखा तब मुझे लगा मुझमें तो दो ही रंग हैं परंतु मोर तो विविधरंगी है..
भाई मुझे तो मोर ही सर्वाधिक सुखी लगता है...
कौआ उड़ कर प्राणी संग्रालय गया, वहां कई पर्यटक मोर को देख कर उसकी ख़ूबसूरती की प्रसंशा कर रहे थे, जब सब दर्शक अन्यत्र गए, तो कौए ने मोर से पुछा मित्र तुम तो अति सुन्दर हो...
प्रतिदिन हज़ारों लोग तुम्हें देखने आते, तुमको देख कर खुश होते, जबकि मुझको देखते ही लोग मुझे उड़ा देते, कोई मुझे पसंद नहीं करता...
लगता है पृथ्वी पर हम सभी पक्षियों में तुम्ही सबसे ज्यादा सुखी हो....।
मोर ने गहरी सांस लेते हुए कहा..
मैं हमेशा सोचता था कि मैं   इस पृथ्वी पर अति सुन्दर हूँ,मैं ही अति सुखी हूँ परंतु मेरे सौंदर्य के कारण ही मैं यहाँ पिंजरे में कैद हूँ...
मित्र , मैंने सारे पंछी गौर से देखे, तो पाया कि सिर्फ कौआ ही ऐसा है जिसे पिंजरे में बंद नहीं किया जाता...
मुझे तो लगता काश मैं भी तुम्हारी तरह कौआ होता तो स्वतंत्रता से कहीं भी घूमता-उड़ता...सुखी रहता....।

बस यही है हमारी समस्या...
हम अनावश्यक ही दूसरों से अपनी तुलना किया करते और दुखी-उदास बनते हैं...
हम कभी भी,जो हमें प्रभु से मिला है, उसकी क़द्र नहीं करते, इसी के कारण दुःख के विषचक्र में फंसे रहते...
हमें प्रत्येक दिन भगवान् की भेंट समझ कर उसको धन्यवाद देते हुए जीना चाहिए...
तो शायद सम्पूर्ण जीवन सफल हो जाये।
प्यार से कहिये जी...
  जय गुरुदेव
Posted by S.K.Mehta, Gurugram


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

धन्यवाद!

सब कोई सत्संग में आइए | Sab koi Satsang me aaeye | Maharshi Mehi Paramhans Ji Maharaj | Santmat Satsang

सब कोई सत्संग में आइए! प्यारे लोगो ! पहले वाचिक-जप कीजिए। फिर उपांशु-जप कीजिए, फिर मानस-जप कीजिये। उसके बाद मानस-ध्यान कीजिए। मा...